हरिद्वार को चारों धामों का द्वार भी माना जाता है, यहां कई प्रसिद्ध मंदिर एवं घाट शामिल है, पौराणिक ग्रंथो के अनुसार हरिद्वार के पांच स्थानों का विशेष महत्त्व है, अर्थात हर की पौडी, कुशावर्त, नीलधारा, कनखल, एवं बिल्व पर्वत इनमें से एक है शिवालिक श्रेणी के विल्ब पर्वत जहाँ स्थित माता मनसा देवी मंदिर।
मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में जाना जाता है। मंसा देवी मंदिर में अष्टनाग वाहिनी मूर्ति स्थापित है, इनकी सवारी कमल है, मनसा देवी को नाग कन्या भी कहा जाता है। मंसा देवी को वासुकी नाग की बहन भी कहा जाता है।
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार जहां रोपवे (उडनखटोला) तथा पैदल मार्ग दोनों मार्गो से पहुंचा जा सकता है।
माता मंसा देवी के मंदिर में पहुँचने के लिए श्रद्धालु पैदल मार्ग तथा रोपवे (उडनखटोला) दोनों मार्गो से जा सकते हैै, यदि श्रद्धालु पैदल मार्ग से यहा की यात्रा करते है, जहाँ पहुँचने के लिए लगभग 187 सीढ़िया चढ़नी होती है। तत्पश्चात् एक 1 कि0मी0 की दूरी तय करनी पड़ती है।
नवरात्रों के समय मंसा देवी में श्रद्धालुओ की काफी भीड़ रहती है। मंदिर में एक पेड़ है, जहां श्रद्धालु इस पेड़ पर मन्नत का धागा बांधते है, जैसे ही मन्नत पूरी हो जाती है, तो लोग इस धागे को खोलने के लिए आते है। मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सुबह 8 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है, तथा दिन के समय 12 बजे से 2 बजे के मध्य बंद रहता है।
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