मकर संक्रांति धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति के त्यौहार को देश में बडे़ ही धूमधाम से मनाया जाता है। यद्यपि प्रत्येक मास में संक्रांति की तिथी आती है। लेकिन इस पर्व में सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है। इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहते है। इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते है। कुछ जगह पर इस पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।

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मकर संक्रांति को उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है, तथा खिचड़ी का भोग लगाया जाता है, वही दूसरी तरफ दक्षिण भारत के तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। जिसे नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इसी दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्यो का शुभारम्भ शुरू हो जाता है।

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 2021- इस वर्ष मकर संक्रांति मुहूर्त 14 जनवरी सुबह 08:30 मिनट से शुरू हो रहा है। जो कि सांय 05:46 मिनट तक रहेगा।

पौराणिक मान्यताओं अनुसार: मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है, मान्यता है, कि इस दिन गंगा में स्नान करके ब्राहृाणों व गरीबों को दान देने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के शुभ पर्व पर सूर्यदेव को जल, लाल वस्त्र, लाल फूल, तिल, गेहूं, अक्षत आदि अर्पित की जाती है।

यदि स्नान करने के लिए गंगा या तालाब आदि संभव न हो तो पानी में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए एवं सूर्य देव की अराधना करके को अघ्र्य चढ़ाकर ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए जाते है, शनि देव मकर व कुंभ राशि के स्वामी है।

 

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