जमदग्नि ऋषि in hindi

जमदाग्नि ऋषि भृगु वंशी ऋचीक के पुत्र थे जिनकी गणना सप्तऋषियों में होती है। इनका आश्रम सरस्वती नदी के तट पर स्थित था, जहाँ पर ऋषि जमदाग्नि अपने शिष्यों को वेद और उपनिषद की शिक्षा दिया करते थे। इनकी पत्नी का नाम रेणुका था, जो राजा प्रसेनजित की पुत्री थी, ऋषि जमदाग्नि तथा रेणुका के पाँच पुत्र थे, जिनका नाम रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्ववानस और परशुराम था, परशुराम जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

https://www.enaturepower.com/

पौराणिक मान्यतायें

ऋषि जमदग्नि उनकी पत्नी रेणुका और दिव्य गाय सुशीला

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि जमदग्नि के आश्रम में सुशीला नाम की एक दिव्य गाय थी, एक बार जब सहत्रवाहु के पुत्र ऋषि जमदग्नि के आश्रम में पहुँचे वहाँ उन्होनें दिव्य गाय द्वारा प्रदान किया गया भोजन किया, वे भावविभोर हो उठे और उन्होनें मन बना लिया कि वे इस गाय को अपने पास रखेगे, ताकि वे अपने सभी इच्छित वस्तु को प्राप्त कर ले, उन्होनें अपने पिता सहत्रवाहु से इस गाय की मांग की जो कि ऋिषि जमदाग्नि के आश्रम में थी, सहत्रवाहु ने अपने सैनिको को ऋषि जमदग्नि के आश्रम में गाय लेने के लिए भेजा, लेकिन ऋषि जमदग्नि ने सैनिको को गाय देने से इनकार कर दिया वे जबरदस्त गाय को ले जाना चाहते थे, लेकिन गाय की रक्षा के लिए जमदाग्नि ने धर्म के विरूद्ध शस्त्र उठाये और सैनिको को परास्त कर दिया।

ऋषि जमदग्नि की हत्या

इस प्रकार सहत्रवाहु स्वंम ऋषि जमदग्नि के पास गये उसने ऋषि से गाय की मांग की लेकिन ऋषि जमदग्नि एवं उनकी पत्नी रेणुका ने गाय को देने से इनकार कर दिया, सहत्रवाहु ने अपने सैनिक के साथ मिलकर ऋषि जमदग्नि के साथ यु़द्ध किया, युद्ध में ऋषि जमदग्नि के घायल होने पर दिव्य गाय द्वारा असंख्य सैनिक उत्पन्न किये गये, जिन्होनें सहत्रवाहु के सैनिको से युद्व किया। अन्तः दिव्य गाय को जबरदस्त सहत्रवाहु अपने साथ ले गया। इसी बीच परशुराम आश्रम में आते है, अपने पिता का ये हाल देखकर बहुत दुखी हुये दूसरी तरफ सहत्रवाहु के पाँचो पुत्र गाय से अनैतिक वस्तुओं की मांग करने लगे दिव्य गाय सुशीला ने जब उनकी इस अनैतिक मांग को पूरा नही किया तो वे उसे मारने को तैयार हो गये इसी समय परशुराम ने उन्हें इस प्रकार के घृणित कार्य के लिए अपमानित किया, एवं भविष्य में उनके द्वारा इस प्रकार के घृणित कार्य करने पर उन्हें उन्हें दण्डित करने की चेतावनी दी। 

इस प्रकार परशुराम गाय को लेकर आश्रम के लिए चल दिये परन्तु सहत्रवाहु के पाँचो पुत्र कहाँ मानने वाले थे, उन्होनें तय किया कि वे परशुराम से पहले उसके आश्रम में पहुँचकर ऋषि जमदग्नि का वध कर देगे। सो उन्होनें वैसा ही किया, वे परशुराम से पहले आश्रम में पहुँचकर घायल पडे ऋषि जमदग्नि पर टूट पडे़ और उनका वध कर दिया।

परशुराम जब गाय लेकर आश्रम में पहुँचे तो उन्होनें अपने पिता ऋषि जमदग्नि को मृत पाया जिससे वे क्रोधित हो उठे और उन्होनें सहत्रवाहु के पाँचो पुत्रों का अन्त कर दिया।

 


Post a Comment

0 Comments