नीम करोली बाबा भारत के एक महान संत

उत्तराखण्ड की पहाडियों में स्थित कैंची धाम जहाँ नीम करौली बाबा का आश्रम स्थित है, यह आश्रम नैनीताल-भवाली मोटर मार्ग के पास ही स्थित है। नैनीताल से यहां की दूरी लगभग 65 कि0मी0 है। यह मंदिर एक सुन्दर एवं शांत जगह पर स्थित है। मंदिर में लोग इनके दर्शनों के लिए न केवल देश से आते है, अपितु विदेशों से भी कई भक्त इस मंदिर में दर्शन हेतु आते है। इस मंदिर को स्वंम नीम करौली बाबा जी ने बनवाया था। नीम करौली बाबा जी के देश-विदेश में 108 आश्रम है, इन सभी आश्रमों में सबसे बड़ा आश्रम कैची धाम तथा अमेरिका में न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।

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नीम करोली बाबा का मंदिर कैची धाम- 24 मई 1962 को करौली बाबा जी महाराज कैची धाम पधारे, यह धाम उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है, सन् 1964 में जून 15 को इनके द्वारा कैची धाम में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गयी। तभी से 15 जून को कैचीधाम में हर वर्ष वार्षिक समारोह मनाया जाता है, इस समारोह में देश-विदेश से लोग आते है, कई लोग यहाँ मनते मांगते है, और मनत पूरी हो जाने पर पुनः मंदिर में दर्शन हेतु आते है। यह मंदिर समुद्रतल से 1400 मी0 की ऊँचाई पर स्थित है। नीम करौली बाबा जी एक हनुमान भक्त थे।

नीम करौली बाबा का जन्म एवं इनका गृहस्थ जीवन

नीम करोली बाबा का जन्म अकबरपुर जिला फिरोराबाद के उत्तर प्रदेश में हुआ जो हिरन गांव से लगभग 500 मी0 की दूरी पर स्थित है। इनके बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। बाबा नीम करौली के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। नीम करौली बाबा जी जब 11 वर्ष के थे तो उनकी शादी एक ब्राह्यण कन्या के साथ कर दी गयी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ये घर को छोड़कर कर चल दिये करीब 10 वर्षो तक ये घर से दूर  रहे। इस दौरान इन्होनें 7-8 साल गुजरात के वावाणिया नामक गांव में साधना की जो कि गुजरात से लगभग 35 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। इसी गांव में इन्होनें हनुमान जी के मंदिर की स्थापना की यह मंदिर एक तालाब के पास स्थित है। इसी दौरान इनकी भेंट अपने पिता से हुई, इनके पिता ने इन्हें गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने को कहा पिता की आज्ञा का सम्मान करते हुये इन्होनें गृहस्थ जीवन को पुनः प्रारम्भ किया, इनके दो बेटे और एक बेटी हुयी।

नीम करोली बाबा के शिष्य

रिचर्ड एडमन रामदास जो कि हावर्ड यूर्निवर सिटी में पढ़ाते थे, जो पेशे से एक प्रोफेसर थे, जब ये भारत भ्रमण पर आये इन्होनें कई जगह की यात्रायें की इन्हें पता चला कि एक बहुत ही चमत्कारिक बाबा है, जिनका नाम नीम करौली बाबा है, ये उस बाबा से मिलने के लिए चल दिये जब इनकी मुलाकात बाबा नीम करौली जी से हुई तो जब एक दिन रात्री में ये तारों को देख रहे थे तो ये उस समय काफी दुःखी हुये नीम करौली बाबा उनके पास ही बैठे हुये थे, वे रामदास से बोले बेटा तारों को देखकर तुम्हें अपनी माँ की याद आ रही है, मुझे पता है, कि बेटा तुम्हारी माँ का देहान्त कैंसर से हुआ था, बाबा के मुख से ये शब्द सुनते ही रिचर्ड एडमन उनके चरणों में गिर गये।

इसमें एक दूसरी कहानी भी जुड़ी है, एकबार जब रामदास अपने साथ कुछ मेडिसिन ले कर आये थे, उन्होनें नीम करौली बाबा को बताया कि यदि इस ड्रग्स की दो से गोलिया का सेवन कर लिया जाय तो आदमी मौत के मुख में पहुँच सकता है। इस प्रकार बाबा नीम करौली ने रामदास से काफी गोलियां ले ली और मुँह में डाल कर घटक गये, और अपने काम में लग गये, रामदास ये सोच रहा था, कि बाबा अब तो मौत के मुँह में गये, लेकिन बाबा को कुछ देर बाद भी सामान्य अवस्था में पाकर वे आश्चर्य में पड़ गये। नीम करौली बाबा बोले इस दवाई मे तो कुछ भी आनन्द नही आया ये सब बेकार है, असली आनन्द तो परमात्मा की भक्ति में है। इस प्रकार रामदास बाबा के इस चमत्कार को देखकर उनके शिष्य बन गये।

कैचीं धाम का नाम यहाँ की भौगोलिक स्थिती के अनुसार रखा गया है। यहां दो पर्वत श्रृंखलाये आपस में एक दूसरे को क्रास करती है। नीम करौली बाबा के विदेशों में भी महान भक्त हुये है, इनमें से फेसबुक के मालिक मार्क जुकवर्ग, एप्पल कंम्पनी के मालिक स्टीव जाॅब्स, हाॅलीवुड की महशूर अभिनेत्री जूलिया राॅबर्ट्स आदि अनेकों इनके भक्त रहे है।

27 सितंबर 2015 को जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी फेसबुक कार्यालय में उपस्थित थे, तब वार्तालाप के दौरान फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि एक समय ऐसा था, जब उनकी कंम्पनी फेसबुक बुरे हालातो से गुजर रही थी, नीम करौली बाबा के आशीर्वाद से उनकी सभी परेशानिया समाप्त हो गयी। ‘‘एक वक्त था जब कुछ भी अच्छा नही चल रहा था, लोग फेसबुक खरीदना चाहते थे, और हमे भी लग रहा था, कि अब फेसबुक बेच देना चाहिए वे स्टीव जाॅब्स से मिले उन्होनें उन्हें समझाया  कि अगर तुम विश्व से जुडना चाहते हो जो कि तुम्हारी कम्पनी का नजरिया भी है। भारत में स्थित एक मंदिर में जाओ, इस प्रकार मैनें भारत में एक महीने का सफर किया वहां जाकर मुझे पता चला कि लोग कैसे एक-दूसरे से जुड़े है, जिसमें एक बेहतर विश्व का निर्माण किया जा सकता है। उन्होनें बताया कि वे कैची धाम के मंदिर एप्पल कम्पनी के मालिक स्टीव जाॅब के कहने पर गये थे।’’

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