story of श्रवण कुमार : एवं माता-पिता के प्रति एक अतुलनीय सम्मान की भावना

 रामायण के अयोध्याकाण्ड में श्रवण कुमार की कहानी का उल्लेख किया गया है। जिसमें श्रवण के माता-पिता तीर्थ-यात्रा करना चाहते है। यद्यपि श्रवण के माता-पिता अंधे है। इस परिस्थिती में श्रवण अपने माता-पिता को कैसे तीर्थ यात्रा के लिए ले जाते है। आइये जानते है, इस लेख से।

माता-पिता के प्रति सम्मान 

श्रवण कुमार अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। वृद्ध माता-पिता कुछ भी देखने में असमर्थ है। इस कठिन परिस्थिती में भी श्रवण अपने माता-पिता का बखुबी ध्यान रखते व उनकी सेवा करते रहते थे।

story of श्रवण कुमार : एवं माता-पिता के प्रति एक अतुलनीय सम्मान की भावना

 

एक बार उनके माता-पिता ने उनसे कहा कि बेटा हम तीर्थ यात्रा करना चाहते है। परन्तु दुर्भाग्य इस बात का है। कि हम दोनों देखने में असमर्थ है। इस परिस्थिती मे स्वंम यात्रा नही कर सकते है। इस बात को सुनकर श्रवण कुमार बोले आप चिन्ता न करे मैं आपको यात्रा पर ले जाउगाँ। श्रवण ने दो टोकरियों को लिया और काँवर तैयार की उसमें एक तरफ माता तथा दूसरी तरफ पिता को बैठा दिया। और काँवर को उठाकर यात्रा पर चल दिया।

इस प्रकार श्रवण कुमार ने अनेक तीर्थ स्थलों का अपने माता-पिता को भ्रमण कराया। एक बार वे अपने माता-पिता को लेकर एक वन से जा रहे थे। इस मार्ग में उनके माता-पिता को प्यास लगी। उन्होनें अपने पुत्र श्रवण से कहा कि वे उन्हें जल लाकर दे। श्रवण ने उन्हें छाव में बिठाकर पानी के लिए घडा लिया और जलाशय के पास चले गये। 

राजा दशरथ का वनआखेट एंव शब्द भेदी बाण का दुष्परिणाम

इस दौरान अयोध्या के राजा दशरथ वन में आखेट कर रहे थे। घडे में पानी भरने की आवाज को सुनकर राजा दशरथ को ऐसा लगा कि कोई जंगली जानवर नदी में पानी पी रहा है। इस प्रकार राजा दशरथ ने अपना शब्द भेदी बाण चला दिया।

बाण के प्रहार से श्रवण भूमि पर गिर पडा राजा जैसे ही उस स्थान पर पहुँचे तो राजा यह दृश्य देखकर काँपने लग गये। उन्हें अपनी भूल पर बड़ा पश्चाताप हुआ। लेकिन अब तो कुछ भी नही हो सकता है।
इस प्रकार श्रवण कुमार ने राजा से कहा कि राजन मेरा क्या अपराध था, जिसके लिए आपने मेरा वध करके मुझे यह दण्ड दिया। क्या मेरा अपराध इतना सा है, कि मैं अपने प्यासे वृद्ध माता-पिता के लिए जल लेने के लिए आया था। आपको मेरे माता-पिता जो कि वृद्ध होने के साथ दृष्टिहीन भी पर थोड़ी सी दया नही आयी। आप इस बाण को मेरे शरीर से निकालो मुझे इससे अत्यधिक पीड़ी हो रही है।

इस प्रकार श्रवन ने राजा से कहा कि वे जल ले जाकर मेरे माता-पिता को पिला दे वे मेरी प्रतीक्षा कर रहे होगें। कृप्या करके उन्हें पानी पिला दे। राजा बड़े दुःखी मन से श्रवण कुमार के माता-पिता के पास पहुँचे और उनके वृद्ध माता-पिता को अपना अपराध बताकर उन्हें क्षमा याचना करने लगे। किन्तु श्रवण के माता-पिता के दुःख की कोई सीमा न थी। इस वृद्ध माता-पिता ने कहा जिस प्रकार अपने पुत्र के वियोग मे ंहम तड़प रहे है। उसी प्रकार तुम भी अपने पुत्र के वियोग के दुःख को भोगोगे।  इस प्रकार श्रवण कुमार का नाम वृद्ध माता-पिता की भक्ति के लिए सदा के लिए अमर हो गया।


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