कौसानी उत्तराखंड राज्य के जिला बागेश्वर (गरुड) में स्थित है। जो लगभग 1980 मी0 की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ प्रकृति के मनोरम दृश्य देखने लायक है। चारों ओर देवदार, चीड़, काफल के पेड़ो से घिरा हुआ जंगल है। इस स्थान पर देश के कोने-कोने से पर्यटक आते है। इसलिए इस स्थान को महात्मा गांधी ने भारत का स्वीट्जरलैंड नाम दिया, तथा यहाँ पर उन्होंने एक पुस्तक अनासक्ति योग को लिखा। कौसानी से नन्दादेवी, पंचाचूली, चैखम्बा, नन्दाकोट और त्रिशूल आदि पर्वतों का सुन्दर मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। इसके अलावा यहाँ पर सरला बहन (लक्ष्मी आश्रम), अनाशक्ति आश्रम है।
सोमेश्वर
कौसानी से 19 कि0मी0 दूर तथा अल्मोड़ा से 40 कि0मी0 दूरी पर सोमेश्वर स्थित है। यहाँ पर शिव मंदिर है। जिसका निमार्ण राजा सोमचंद ने करवाया जो चंदवंश के संस्थापक थे। मंदिर के पास में ही एक नौला कुण्ड है। लोकमान्यताओं के अनुसार इस नौला (कुण्ड) में कभी दूध भरा रहता था लेकिन किसी के जूठन से यह पानी में परिवर्तित हो गया।
पिण्डारी ग्लेशियर
कौसानी (kausani to pindari glacier distance) से 39 कि0मी0 की दूरी पर स्थित सुन्दर पिण्डारी ग्लेशियर का नजारा देखने को मिलता है। जो लगभग 14500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इस स्थान पर बुरांश, भोजपत्र के वृक्ष पाये जाते है। पिण्डारी ग्लेशियर से पिण्डारी नदी बहती है। यहाँ पूरे साल भर पर्यटको का आना जाना लगा रहता है। पिण्डारी ग्लेशियर में ट्रैकिंग के लिए कई पर्यटक यहाँ आते है।बैजनाथ
बैजनाथ का प्राचीन नाम वैद्यनाथ था, यह स्थान अल्मोड़ा से 71 कि0मी0 की दूरी पर स्थित गोमती नदी के किनारे 11वीं शदी का मंदिर है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहाँ मंदिर के दर्शन करने आते है। यहाँ पर पार्वती की मूर्ति, लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि है। इससे कुछ ही दूरी पर गरुड मार्केट स्थित है।यहाँ पर एक पत्थर है, जिसे अकेला आदमी नही उठा पाता लेकिन नौ आदमी एक-एक अंगुली लगाकर इस पत्थर को आसानी से उठा लेते है।
पिनाकेश्वर
यह स्थान कौसानी से 20 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। ट्रेकिंग करने के लिए यहाँ दूर-दूर से पर्यटक यहाँ आते है।ग्वालदम
कौसानी से 36 कि0मी0 की दूरी पर स्थित यह स्थान सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ है, यहाँ से सामने हिमालय पर्वत दर्शको का मनमोह लेता है। ग्वालदम जिला बागेश्वर तथा चमोली का सीमाद्वार है। यह स्थान सुन्दर बाँज, बुँरास देवदार के वृक्षो से घिरा हुआ है। ग्वालदम से मात्र 8 कि0मी0 की दूरी पर बघाणगढ़ी मंदिर है। जो माता को समर्पित है। यहाँ से हिमालय दर्शन किये जा सकते है। ग्वालदम से अंग्यारी मंदिर जो कि भगवान शिव को समर्पित है, 15 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है।
बागेश्वर
यह स्थान गोमती नदी, सरयू नदी एवं सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है। यहाँ प्रत्येक वर्ष मकर संक्राति के समय मेला लगता है। इस मेले में विभिन्न प्रकार की वस्तुये जो दैनिक जीवन में घर में उपयोग की जाती है। देखने को मिलती है। इस स्थान पर भगवान शिव का मंदिर है, जिसका निर्माण राजा लक्ष्मीचन्द ने 1602 ई0 में कराया था। यह स्थान समुद्रतल से 960 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बागेश्वर का प्राचीन नाम ब्याघ्रेश्वर है। इस स्थान को मानसखंड में अग्नितीर्थ के नाम से जाना जाता है।
पाताल भुवनेश्वर के बारे में
पाताल भुवनेश्वर के बारे में
अनाशक्ति आश्रम
इस स्थान पर कवि सुमित्रा नन्दन पन्त वीथिका स्थापित की गई है। इसी स्थान पर रहकर महात्मा गांधी ने अनाशक्ति योग पर पुस्तक लिखी।सुमित्रा नन्दन पंत संग्रालय कौसानी
यहाँ प्रसिद्ध कवि सुमित्रा नन्दन पंत संग्रहालय है, जहाँ इनकी कृतियों को हिन्दी, और अंग्रजी दोनों भाषाओं में इस संग्रहालय में रखा गया है।
कौसानी से थोड़ी ही दूर चाय बागान का नजारा देखा जा सकता है। जहाँ आप बागान में घुम सकते है। तथा चाय की फैक्ट्री में भी पहुँच कर देख सकते है, यहाँ से कई देशों के लिए चाय का निर्यात किया जाता है।
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