भुवनेश्वर ओड़िशा राज्य की राजधानी है, यह मंदिरो के शहर के नाम से प्रसिद्ध है, भुवनेश्वर महानदी से दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस शहर के दक्षिण भाग में दया नदी तथा पूर्व भाग में कुआंखाई नदी बहती है। यहां पर लगभग सौ से भी ज्यादा रमणीय स्थल है, तीसरी शताब्दी ई0 पूर्व में इसी जगह कलिंग युद्ध हुआ था, युद्ध के परिणामस्वरूप अशोक एक प्रसिद्ध बोद्ध अनुयायी के रूप में परिणित हो गया था।
मुख्य आकर्षण
उदयगिरि और खण्डगिरि गुफाएं
भुवनेश्वर से उदयगिरी और खण्डगिरी के गुफाओ की दूरी लगभग 6 कि0मी0 है। यहां उदयगिरी में 18 और खण्डगिरी में 15 गुफाये है, इनमें से रानी गुफा सबसे प्रमुख गुफा है।
धौली हिल
धौलीगिरी हिल्स एक रमणीय एवं शांत जगह है, जो कि भुवनेश्वर से लगभग 8 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है, इस जगह पर गुबंद के आकार की तरह शांति स्तूप है, जहाँ पर भगवान बुद्ध के पैरों के निशान तथा बौधि वृक्ष है।
यह वह स्थान है, जहाँ प्राचीन समय में कलिंग युद्ध हुआ था, कलिंग के इस युद्ध में अत्यधिक रक्तपात होने के कारण अशोक का हृदय परिवर्तन हो गया और उन्होनें हिंसा न करने का निर्णय लिया तथा अहिंसा मार्ग चुनकर बौद्ध धर्म को अपना लिया, धौली हिल्स में यहाँ के शिलालेखो के उपरी हिस्सों को काटकर हाथी बनाया गया है, सन् 1970 के दौरान यहां जापान के सहयोग से एक सफेद रंग का शांति स्तूप बनाया गया।
भुवनेश्वर मुक्तेश्वर मंदिर (bhubaneswar mukteshwar temple)
इस मंदिर का प्रवेश द्वार धनुषाकार है, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 10वीं शताब्दी का माना जाता है। इस मंदिर में सौ से भी अधिक प्रतिमाएं है, जो कि अपनी अद्भूत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
राजा रानी मंदिर (Raja Rani Mandir)
राजा रानी मंदिर की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुयी, मान्यता है, कि यह मंदिर किसी विशेष प्रकार के पत्थरों से बना हुआ जिसे राजा रानी पत्थर कहां जाता है, इस कारण इस मंदिर का नाम राजा रानी मंदिर पड़ा।
भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर (Bhuvneshwar Lingaraj Mandir)
यहां का लिंगराज मंदिर बारहवीं सदी में बना हुआ है, जहां पर 40 मी0 ऊंचा दुर्ग है, इसके आंगन में लगभग 50 मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी वंश के राजा ययाति ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है।
स्टेट संग्रहालय
इस संग्रहालय में प्राचीन समय की चित्रो का संग्रह है, इसी संग्रहालय प्राचीन पुस्तक ‘गीत गोविन्द’ है, जिसे जयदेव द्वारा 12वीं शताब्दी में लिखा गया था।
मंदिरों का शहर कहे जाने वाला भुवनेश्वर शहर एक ऐसा स्थल है, जहाँ अनेको दर्शनीय स्थल मौजुद है। नंदनकानन राष्ट्रीय पार्क, राम मंदिर, हीरापुर का योगिनी मंदिर, उडीसा स्टेट म्यूजियम, गाँधी पार्क, इंदिरा गांधी पार्क, शिरडी साईबाबा मंदिर, चंदका वन्यजीव अभ्यारण्य, आदि अनेको दर्शनीय स्थल यहां मौजूद है।
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