सुरकंडा माता मंदिर जिला टिहरी के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है, जो 2750 मी0 की उंचाई पर स्थित है। यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जो माता दुर्गा को समर्पित है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता का सिर गिरा था, माता का मंदिर जोनपुर की सुरकुट नामक पर्वत पर स्थित है, जिस कारण इस स्थान का सुरकंडा पड़ा। मंदिर में माता काली की प्रतिमा स्थापित है।
यहा से उत्तर हिमालय का सुन्दर दृश्य देखा जा सकता है, जो अपने आप में अदभुत है, और साथ ही दक्षिण दिशा से ऋषिकेश और देहरादून के दृश्यों को भी यहा से देखा जा सकता है।
मंदिर में पहुँचने के लिए कद्दूखाल से कुछ लगभग 3 कि0मी0 की यात्रा पैदल तय करनी होती है। यहां से मंसूरी 33 कि0मी0, धनौल्टी 5 कि0मी0 तथा कुन्जापुरी देवी मंदिर 66 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है।
पौराणिक मान्यताये
जब माता सती अपने पिता के घर पहुँची तो उसके पिता प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया गया। जिसे माता सती सहन न कर पायी और उन्होनें यज्ञ कुण्ड में अपनी आहुति दे दी। जब भगवान शिव को माता सती के बारे में पता चला तो उन्होनें दक्ष का सिर काट दिया। तथा माता सती का शरीर लेकर वहां से चल दिये। उस समय भयंकर प्रलय जैसी स्थिती उत्पन्न हो गयी, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 52 भागों में विभाजित कर दिया, जहां-जहां उनके शरीर के टुकडे़ गिरे वहां-वहां एक शक्तिपीठ बन गया। मान्यता है, कि इस स्थान पर माता का सिर गिरा जिस कारण यहां का नाम सुरकंडा पड़ा।
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